Tuesday, May 3, 2011
Friday, April 29, 2011
कहीं इंतजार में ही मेरी ऑंखें पथरा न जाये
मुझे क्या चाहिए, क्यों कब और कैसे?
ये बताने के लिए मेरे साथी शब्द ही तो ह,
मुझे , जो दो पल बचे ह
उनमे तुम्हारा साथ चाहिए
क्युकी जी भर के चाहती हूँ जीना
मैने तपते रेगिस्तान की रेत पर
बहुत से दिन रैन
नंगे पाँव चल कर बिता दिए ह
और अब उन पगों पर छाले पड़ गए ह
मैं जब जब चलती हूँ काँटों पर
लगता ह की कोई जख्मो पर नमक छिड़क रहा ह
मुझे अब एक शीतल सी फुहार चाहिय्र
मैं चाहती हूँ की मेरे बच्चो को कुछ बनाने का अपना सपना
मैं तुम्हारे साथ dekho , तुमारी तकलीफों को अपना कर
अपनी तकलीफे तुम्हारे साथ bantoo
फिर वो दुःख , चिंता बस चिंतन बन के रह जाएँ
मैने बहुत से ख्वाब देखे ह
पर वक्त थोडा ह
इसलिए तुमसे एक निवेदन ह
मेरे पास जो समयाभाव ह
उसे समझ कर , तुम जल्द
से जल्द मेरे सपनो में रंग भर दो
कहीं इंतजार में ही मेरी ऑंखें पथरा न जाये
Sunday, February 20, 2011
फ्रेंड का बर्थडे
एक बार की बात है, मै उस टाइम कुछ खाश जॉब नहीं कर रहा था, मै उस समे कैफे मै था तब मरे फ्रेंड का बर्थडे आया था, कुछ ये दिसम्बर का महिना था ठड था पर थोडा कम था ता मने उसे बर्थडे विश किया वो भी १२अम को और मेने कभी किसे के लिया १२ बजे नहीं उढा था, इसके लिए मै डाट भी काया पर वो मरी अच्छी फ्रेंड थी, पर मने उसे विश किया था, मुझे लगा क्या हुआ अगर मेने उसे विश किया तो पर मुझे नहीं पता था की ये बात किसे को अची नहीं लगेगी, मने उसका फ़ोन recharge किया उस पर भी मै डट पड़ी मुझे मने सोच अगर मरे पास रुपे है और कभी उसने मुझे से कुछ नहीं कहा यानि की मुझसे कुछ नहीं मागा था और उस दिन पहली बार उसने कुछ मागा मुझसे तो मने सोच चलो कर देते है क्या जाता है दूस्ती मै ये सब चलता है और मोर्निंग मै मै जल्दी उठा और खाना खाया और हजरतगंज जाया वो भी बूके लेने क्यों की मेरे घर के आस पास कोई भी फूल-बूके वाला नहीं है और न कोई शॉप थी इसलिए मै हजरतगंज गया था, जब मै वह गया तो उसके पास फूल काफी थे और उसने मुझे २-३ बूके भी बने हुए दिखाया और मुझे उसमेसे एक पसंद आया, तो पर वो पहले क बनाये हुए थे मने शॉप वाले से कहा मुझे फ्रेश बूके बना कर दो तो उसने बताया की भी अभी तो नहीं बन पायेगा १ गन्टा लगबग लगेगा क क्यों की जो बूके बनता है वो अभी आया नहीं था तो मेने वेट किया तब वो बूके वाला आया और उसने बनाया मुझे वह लगभग २ घटा हूँ गया था तो मेने जल्दी से लिया और निकला जल्दी से पर मेने उसे संभल कर ले कर उसके घर और निकला और आते हुई मने सोचा क्यों न कुछ मीठा भी होना चाहिये तो मै एक शॉप पे रुका और वह से २ ५स्तर लिया क्यों की ये जादा मीठा होता है ओरो चोकोलाटो से तब मने सोच अब ठीक है चलो अब चला जाये और गया तो पर,

जब मै पंहुचा तो मुझे लगा मै कुछ जल्दी आ गया हूँ क्यों की उसने तब तक नहाया भी नहीं था, कोई बात नहीं जल्दी आया तो क्या अब तोबरा जा तो नहीं सकता था ना उसने कहा चलो ठीक है बेटो मेने कहा ठीक है, और बाद मै कुछ ढेर बाद में २ और फ्रेंड आये मुझे लगा चलो अच है कोई तो आया नहीं तो में आकेला आया सोच कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, और उस क मोम बहुत अची है, एंटी ने भी बात किया और बाद में उन्हूने पूरी और छौले भी बनाया एंटी ने मुझे तो कुछ ज्यदा खिला दिया एंटी ने भी और बाद में jiske बर्थडे में गया था उसने भी और पूरी ले आये और ये बोल कर ड़ाल दिया क इतना तो लडकिय खाती है और वो लोग भी साथ में खा रहे थे, और लास्ट में एंटी ने खीर भी बनाए थे वो भी खाना पड़ा और हम लोगोने काफी ढेर तक बात करी और फिर दुपहर हूँ गया था तब लगा क अब हमें जाना चाहिये फिर में वह से चला गया पर अच्छा तो लगा पर मुझे डाट खानी पड़ी बाद में बस ,,,,
एक अलग दुनिया
सुझान, डॅनियल, ब्रॅट और बाकि पुलिस कर्मचारी हवेलीसे बाहर आकर विस्फोट हूए कुंएके इर्दगिर्द इकठ्ठा हो गए थे. आश्चर्यकी वजहसे उनकी हरकते एकदम धीमी हो गई थी. यह क्या होगया ? और क्यों होगया ? सब उनके समझ के बाहर था. स्टेला और जाकोबको सुझान दिखतेही उनके चेहरे खुशीसे दमक उठे. वे धीरे धीरे सुझानकी तरफ जाने लगे. लेकिन सुझानका उनकी तरफ कहा खयाल था. उसकी ढूंढती हूई नजर आसपास पत्थरोंके ढेरोंपर जा रही थी.
'' सुझान...'' जाकोबने उसे आवाज दिया.
उसे अब वही उसका भाई है यह बतानेकी जल्दी हो गई थी.
लेकिन वह उसपर यकिन करेगी ?...
उसके मनमें आशंका उठी.
'' सुझान..'' जाकोबने फिरसे आवाज दिया.
लेकिन यह क्या ? सुझान कोई प्रतिक्रिया नही दिखा रही थी. मानो उसे उसका आवाज सुनाई नही दे रहा हो. स्टॆलाने और जाकोबने एकदुसरेकी तरफ असमंजसभरी निगाहोसे देखा.
'' सुझान ...'' अब स्टेलाने, और जोरसे आवाज दिया.
फिरभी सुझानपर उसका कोई असर नही दिख रहा था.
वे अब उसके और करीब गए. जाकोबने अपना हाथ उसके कंधेपर रख दिया. लेकिन आश्चर्य!. उसका हाथ उसके कंधेपर ना टीकते हूए निचे गिर गया. उसका हाथ मानो खोखला हो या उसका शरीर खोखला हो ऐसे उसका हाथ उसके शरीरमें जाकर बाहर आगया. एक बडा आश्चर्यका आघात हूवा हो ऐसे स्टेला और जाकोब एकदुसरेकी तरफ देखने लगे. स्टेलानेभी अपनी तरफसे सुझानका हाथ पकडनेकी कोशीश की, लेकिन उसके हाथमेंभी उसका हाथ नही आया.
फिरसे वे दोनों एक दुसरेकी तरफ विस्मय और आश्चर्यसे देखने लगे.
स्टेला सुझानकी तरफ मुडी और उसे फिरसे जोरसे आवाज देते हूए बुलाने लगी,
'' सुझान..''
''... तूम मुझे सुन रही हो ना ?''
सुझानपर उसके बुलानेका कोई असर नही दिख रहा था.
सुझान, डॅनियल, ब्रॅट और बाकि पुलिस कर्मचारी इधर उधर आश्चर्यसे देख रहे थे. वे मानो सबके सब स्टेला और जाकोबके वहांके उपस्थितीसे पुरी तरह अनभिज्ञ थे.
जाकोब अब डॅनियलकी तरफ गया और उसके सामने जाकर उसका रास्ता रोकते हूए खडा हो गया.
'' डॅनियल..'' जाकोबने उसे आवाज दिया.
'' तूम मुझे सुन रहे हो ना ''
लेकिन डॅनियल मानो जाकोबके वहांके अस्तित्वको नकारते हूए सामने सिधा चलने लगा. और क्या आश्चर्य उसे चलते हूए जाकोबकी कोई बाधा या अवरोध ना होते हूए वह सिधा उसके शरीरसे होते हूए दुसरी तरफ आगे निकल गया. लेकिन जाकोब अपनी कोशीश छोडनेके लिए तैयार नही था. वह ब्रॅटके सामने जाकर खडा हो गया,
'' ऑफीसर... मेरी तरफ देखो '' जाकोब उसके आंखोकी सामने अपना हाथ हिलाकर उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षीत करनेका प्रयास कर रहा था.
लेकिन कोई फायदा नही हो रहा था.
तभी इतने लोगोंमेंसे कोई एक अपनी तरफ देख रहा है ऐसा जाकोबके ध्यानमें आगया. वह एक बुढा था. वह सिर्फ उसकी तरफ देखही नही रहा था बल्की उसकी तरफ देखते हूए मंद मंद मुस्कुराभी रहा था.
'' तुम्हे कोईभी सुन नही पाएगा ... और देख भी नही पाएगा '' उस बुढेने जाकोबसे कहा.
स्टेलाने उत्सुकतावश उस बुढेकी तरफ देखते हूए पुछा, '' लेकिन क्यो?''
'' क्योंकी तुम एक अलग विश्वमें हो '' उस बुढेने कहा.
'' फिर आप कैसे हमें देख सकते हो और सुनभी सकते हो '' स्टेलाने पुछा.
उसपर उस बुढेने जोरसे ढहाका लगाया और कहा,
'' क्योंकी तूम मेरे विश्वमें हो... ... तूम, वह और मै एक अलगही विश्वमें पहूंच गए है ... या यूं कहीए हम मर चूके है ऐसा कहा तो भी चलेगा...... क्योंकी इन लोगोंकी दुनियाके लिए हम मरही चूके है ... कुछ लोग हम जैसोंको आत्मा कहते है तो कोई भूत.... लेकिन यह सच है की हम इन लोगोंको देख सकते है, सुन सकते है लेकिन वे हमे देखभी नही सकते और ना सुन सकते है ''
जाकोबने और स्टेलाने असाहयतावश अपने आसपास खडे लोगोंकी तरफ देखा. सचमुछ जाकोब और स्टेला उन्हे देख, सुन सकते थे लेकिन वे उन्हे देखभी नही सकते थे और सुनभी नही सकते थे.
'' सुझान...'' जाकोबने उसे आवाज दिया.
उसे अब वही उसका भाई है यह बतानेकी जल्दी हो गई थी.
लेकिन वह उसपर यकिन करेगी ?...
उसके मनमें आशंका उठी.
'' सुझान..'' जाकोबने फिरसे आवाज दिया.
लेकिन यह क्या ? सुझान कोई प्रतिक्रिया नही दिखा रही थी. मानो उसे उसका आवाज सुनाई नही दे रहा हो. स्टॆलाने और जाकोबने एकदुसरेकी तरफ असमंजसभरी निगाहोसे देखा.
'' सुझान ...'' अब स्टेलाने, और जोरसे आवाज दिया.
फिरभी सुझानपर उसका कोई असर नही दिख रहा था.
वे अब उसके और करीब गए. जाकोबने अपना हाथ उसके कंधेपर रख दिया. लेकिन आश्चर्य!. उसका हाथ उसके कंधेपर ना टीकते हूए निचे गिर गया. उसका हाथ मानो खोखला हो या उसका शरीर खोखला हो ऐसे उसका हाथ उसके शरीरमें जाकर बाहर आगया. एक बडा आश्चर्यका आघात हूवा हो ऐसे स्टेला और जाकोब एकदुसरेकी तरफ देखने लगे. स्टेलानेभी अपनी तरफसे सुझानका हाथ पकडनेकी कोशीश की, लेकिन उसके हाथमेंभी उसका हाथ नही आया.
फिरसे वे दोनों एक दुसरेकी तरफ विस्मय और आश्चर्यसे देखने लगे.
स्टेला सुझानकी तरफ मुडी और उसे फिरसे जोरसे आवाज देते हूए बुलाने लगी,
'' सुझान..''
''... तूम मुझे सुन रही हो ना ?''
सुझानपर उसके बुलानेका कोई असर नही दिख रहा था.
सुझान, डॅनियल, ब्रॅट और बाकि पुलिस कर्मचारी इधर उधर आश्चर्यसे देख रहे थे. वे मानो सबके सब स्टेला और जाकोबके वहांके उपस्थितीसे पुरी तरह अनभिज्ञ थे.
जाकोब अब डॅनियलकी तरफ गया और उसके सामने जाकर उसका रास्ता रोकते हूए खडा हो गया.
'' डॅनियल..'' जाकोबने उसे आवाज दिया.
'' तूम मुझे सुन रहे हो ना ''
लेकिन डॅनियल मानो जाकोबके वहांके अस्तित्वको नकारते हूए सामने सिधा चलने लगा. और क्या आश्चर्य उसे चलते हूए जाकोबकी कोई बाधा या अवरोध ना होते हूए वह सिधा उसके शरीरसे होते हूए दुसरी तरफ आगे निकल गया. लेकिन जाकोब अपनी कोशीश छोडनेके लिए तैयार नही था. वह ब्रॅटके सामने जाकर खडा हो गया,
'' ऑफीसर... मेरी तरफ देखो '' जाकोब उसके आंखोकी सामने अपना हाथ हिलाकर उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षीत करनेका प्रयास कर रहा था.
लेकिन कोई फायदा नही हो रहा था.
तभी इतने लोगोंमेंसे कोई एक अपनी तरफ देख रहा है ऐसा जाकोबके ध्यानमें आगया. वह एक बुढा था. वह सिर्फ उसकी तरफ देखही नही रहा था बल्की उसकी तरफ देखते हूए मंद मंद मुस्कुराभी रहा था.
'' तुम्हे कोईभी सुन नही पाएगा ... और देख भी नही पाएगा '' उस बुढेने जाकोबसे कहा.
स्टेलाने उत्सुकतावश उस बुढेकी तरफ देखते हूए पुछा, '' लेकिन क्यो?''
'' क्योंकी तुम एक अलग विश्वमें हो '' उस बुढेने कहा.
'' फिर आप कैसे हमें देख सकते हो और सुनभी सकते हो '' स्टेलाने पुछा.
उसपर उस बुढेने जोरसे ढहाका लगाया और कहा,
'' क्योंकी तूम मेरे विश्वमें हो... ... तूम, वह और मै एक अलगही विश्वमें पहूंच गए है ... या यूं कहीए हम मर चूके है ऐसा कहा तो भी चलेगा...... क्योंकी इन लोगोंकी दुनियाके लिए हम मरही चूके है ... कुछ लोग हम जैसोंको आत्मा कहते है तो कोई भूत.... लेकिन यह सच है की हम इन लोगोंको देख सकते है, सुन सकते है लेकिन वे हमे देखभी नही सकते और ना सुन सकते है ''
जाकोबने और स्टेलाने असाहयतावश अपने आसपास खडे लोगोंकी तरफ देखा. सचमुछ जाकोब और स्टेला उन्हे देख, सुन सकते थे लेकिन वे उन्हे देखभी नही सकते थे और सुनभी नही सकते थे.
आप कौन है ?...
उन्हे कोई सुन नही सकता और देखभी नही सकता यह देखकर जाकोब मायूस हो गया था. वह स्टेलाके सामने जा खडा हो गया और हताशासे बोलने लगा -
'' मेरा संशोधन जहां तक डॉ. स्टिव्हन हॉल्स संशोधन करते हूए पहूंच गए थे और जहांसे आगे वह बढ नही पा रहे थे, वहां तक पहूंच गया था. ''
स्टेलाने जाकोबकी आंखोमें देखा. उसे अपने पतीके बारेमें गर्व महसूस हो रहा था.
'' सिर्फ कृत्रिम जग बनानाही काफी नही था ... तो औरभी बहुत कुछ बाकी और जरुरी था '' जाकोबने आगे कहा.
'' जैसे ?'' स्टेलाने पुछा.
'' जैसे ... जैसे उन्होने कृत्रिम जग बनाए थे... वैसेही कुछ सचमुछके जग का भी अस्तित्व होना चाहिए ''
'' हां ... तूमने मुझे यह पहलेभी एकबार बताया था '' स्टॆलाने कहा.
'' इसीलिए तो ... उस सचमुछके दुनियामें प्रवेश करनेका और वहांसे वापस आनेका कोई तो रास्ता होना चाहिए...वह रास्ता ढूंढनाभी इस संशोधनके एक हिस्सेके तौर पर उतनाही महत्वपुर्ण है ... अगर वह रास्ता नही मिला तो डॉ. स्टिव्हन हॉल्सने किए संशोधनका कोई मतलब नही बनता ... या यूं कहीए उसके सिवा यह संशोधन अधूरा है '' जाकोबने कहा.
अब वह बुढा आदमी उनके पास आकर उनके साथ शामील हो गया.
'' माय डियर... इस दुनियामें कुछभी अधुरा नही है ... हर एक चिजका उसका अपना एक अंत निर्धारीत किया हुवा है '' वह बुढा बोला.
जाकोब उस बुढेकी तरफ ध्यान ना देते हूए स्टेलाकी तरफ एकटक देखते हूए बोला,
'' लेकिन अब हम अपना संशोधन कैसे जारी रखेंगे ''
'' हां सचमुछ यह मुश्कील है ... अब फिलहाल हम कोई छोटी चिजभी पकड नही पा रहे है '' स्टेलाने कहा.
'' मेरे दोस्त ... अब तूम जहांभी हो ... वहां सब नियम अलग है ... यह पुरी तरह एक अलग दुनिया है '' उस बुढे ने कहा.
'' वह कुछभी हो ... एक बात तो तय है ... की वह संशोधन पूरा करनेके लिए हमें फिरसे वापस अपनी दुनियामें जाना चाहिए '' जाकोबने पक्के निर्धारके साथ कहा.
वह बुढा अब गुढतासे बोलने लगा था -
'' कोई एक ज्ञात अज्ञात ढूंढनेके लिए निकला
ढूंढेगा वह अज्ञात जी जानसे खेलकर फिरभी
दुनिया को वह कैसे बतायेगा अगर वह खुद अज्ञात हो चला''
'' वापस अपनी दुनियामें जाना ? ... माय डियर... बदकिस्मतीसे पहलेकी दुनियामें जाना मुझे तो मुमकिन नही लग रहा है '' वह बुढा बोला.
लेकिन अब जाकोबसे रहा नही गया, उसने पलटकर उस बुढेकी आंखोसे आंखे मिलाते हूए गुस्सेसे देखते हूए पुछा,
'' मुमकिन क्यो नही होगा ?''
'' क्योंकी ऐसा पहले ना कभी हुवा है ना भविष्यमें होगा ...'' उस बुढेने जवाब दिया.
जाकोबने ध्यानसे और उत्सुकतासे उस बुढेकी तरफ एकटक देखते हूए पुछा,
'' बाय द वे... आप कौन है ?... और आप हमारे पिछे क्यों लगे हो ?... मेहरबानी करके हमें हमारी स्थितीपर छोड दो '' जाकोबने झल्लाकर कहा.
'' मै डॉ. स्टिव्हन हॉल्स हूं '' उस बुढेने गुढतासे कहा.
वह चमकिला पत्थर
'' क्या आप डॉ. स्टिव्हन हॉल्स हो?'' जाकोबके मुंहसे आश्चर्यसे निकल गया.
इतनी देरसे उसके इर्दगिर्द घुम रहा बुढा मतलब कोई और ना होकर जिसने वह ब्लॅकहोल्स बनाए वह जेष्ठ संशोधक डॉ. स्टिव्हन हॉल्स है इसका जाकोबको आश्चर्य लग रहा था.
'' लेकिन आप ऐसे नकारात्मक बोलोगे इसकी उम्मीद नही थी ... आप एक संशोधक हो ... मुझे तो आपपर बहुत गर्व था... मुझे माफ करदो लेकिन ... आपके मुंहसे ऐसी नकारात्मक बाते शोभा नही देती ...'' जाकोबने कहा.
जाकोबको अबभी विश्वास नही हो रहा था की वह बुढा ही डॉ. स्टिव्हन हॉल्स होगा.
तभी जाकोबका ध्यान सुझान, डॅनियल, ब्रॅट और बाकी इकठ्ठा हूए पुलिस स्टाफकी तरफ गया. वे एक गृप बनाकर खडे थे.
जाकोबने उस गृपकी तरफ देखकर कहा, '' यह संशोधन आगेभी जारी रखनेके लिए कुछ तो रास्ता होगा .... मुझे कुछतो करनाही पडेगा ... क्योंकी मुझे मेरे अंदरका वैज्ञानिक चुप बैठने नही देगा ...''
'' तुम्हे लगता है मैने प्रयास नही किया होगा ?'' डॉ. स्टिव्हनने पुछा.
जाकोबने डॉ. स्टिव्हनकी तरफ देखा अनदेखा करते हूए वह उस गृप की तरफ बढने लगा जिसमें सुझान, डॅनियल और बाकि लोग खडे थे. उसने नजदिक जाकर देखा तो वे लोग इकठ्ठा होकर वहां जमिनपर कुछ पडा होगा उसकी तरफ गौरसे देख रहे थे. उस गृपकी तरफ बढते हूए जाकोबके चेहरेपर अब एक जितभरी मुस्कुराहट दिखने लगी. उसका चेहरा खुशीसे चमकने लगा. स्टेला जाकोबकी तरफ आश्चर्यसे देख रही थी. उसके मनमें क्या चल रहा होगा यह समझनेका वह प्रयास करने लगी.
तभी अचानक जोरसे चिल्लाकर डॉ. स्टिव्हनने जाकोबको हिदायत दी ,
'' जाकोब... रुको ... ऐसा मत करो ... वह खतरनाक है ''
शायद डॉ. स्टिव्हनको उसके मनमें क्या चल रहा है उसका अंदाजा हो गया था.
जाकोब रुकनेके लिए तैयार नही था. उसने डॉ. स्टिव्हनको कोई जवाब नही दिया. उनकी तरफ मुडकर देखते हूए वह सिर्फ अजिब तरहसे मुस्कुराया.
स्टेलातो कुछ समझ नही पा रही थी. वह संभ्रमसे कभी जाकोबकी तरफ तो कभी डॉ. स्टिव्हनकी तरफ देख रही थी. .
जाकोब उस इकठ्ठा हूए लोगोंके और करीब गया.
'' जाकोब रुको ...'' डॉ. स्टिव्हन फिरसे चिल्लाए.
लेकिन जाकोब रुकनेके लिए तैयार नही था. वह अब सुझानके पास गया.
जाकोबने फिरसे एकबार स्टेला और डॉ. स्टिव्हनकी तरफ देखा. वह अबभी उनकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था.
स्टेलाको अबभी जाकोबके मनमे क्या चल रहा है और अब आगे वह क्या करने वाला है, कुछ समझमें नही आ रहा था. लेकिन डॉ. स्टिव्हनको शायद उसके मनमें क्या चल रहा है और अब आगे वह क्या करनेवाला है यह पता चल चूका था.
'' नही ऐसा मत करो .... उसकी जानको खतरा है '' डॉ. स्टिव्हनने जाकोबको फिरसे चेतावनी दी.
लेकिन वह सुननेके स्थितीमें नही था. एक पलकाभी समय ना गवाते हूए वह धीरे धीरे सुझानके शरीरमें प्रवेश करने लगा.
'' रुको जाकोब...'' डॉ. स्टिव्हनने आखरी बार चेतावनी दी.
लेकिन वह रुकनेके लिए तैयार नही था. वह अब पुरी तरहसे सुझानके शरीरमें प्रवेश कर चूका था.
सुझान, डॅनियल, ब्रॅट और बाकी पुलिस कर्मचारी इकठ्ठा खडे होकर जमीनपर पडे उस हिरेकी तरह चमक रहे पत्थरकी तरफ गौरसे देख रहे थे. तभी स्टेला वहां आ गई. उस गृपमें घुसकर उसने वह पत्थर उठानेकी कोशीश की. लेकिन वह पत्थर उसके हाथमें नही आ रहा था. उसका हाथ खोखला हो या फिर वह पत्थर खोखला हो इस तरह उसका हाथ उस पत्थरसे आरपार जा रहा था, लेकिन वह पत्थर उसके हाथमें नही आ रहा था. तभी सुझान सामने आ गई. उसकी हरकते अब धीमी हो गई थी. और वह सुस्त लग रही थी. उसने वह चमकिला पत्थर उठाया और वह उस पत्थरकी तरफ एकटक देखने लगी.
गिब्सन कहा गया ? (समाप्त)
शामका समय था. सुरज पश्चिमकी ओर डूबही रहा था. ऐसे समय पार्कमें सुझान और डॅनियल मखमलसे मुलायम हरे लॉनपर लेटे हूए थे और बह रहे ठंडे ठंडे झोंकोंका आनंद ले रहे थे. डॅनियलका सर सुझानकी गोदमें रखा हूवा था.
'' मानो ऐसा लग रहा है जैसे सबकुछ कल कल घटीत हूवा है ... समय कैसे बित गया कुछ पताही नही चला. '' डॅनियलने कहा.
सुझान उसके बालोंसे अपनी उंगलीयां फेरती हूई उसकी नक्कल उतारती हूई बोली,
'' ऐसा होता है ... प्यारमें ऐसा होता है कभी कभी ''
'' प्यारमें कभी कभी ... हमें एक पल मानो कितने साल जैसा लगता है ... और कभी कभी कितने साल एक पल जैसे लगते है ... मानो समयका सब परिमान बदल गया हो ... '' फिरसे वह उसकेही कभी बोले हूए वाक्य दोहराते हूए बोली.
डॅनियल उसकी तरफ देखते हूए मिठासा मुसकाया. उसे अपने बिवीपर गर्व हो रहा था.
उसे कैसे मेरी हर आदत, ... मेरी हर तरहा मालूम है ...
इतनाही नही तो मेरे कभी बोले हूए वाक्यभी वह याद रखती है ..
सचमुछ... आखिर प्यारका मतलब क्या है?...
एकदुसरेको पुरी तरहसे जाननेका नामही प्यार है...
एकदुसरेको पुरी तरहसे जाननेके बाद हमें एकदुसरेकी छोटी छोटी बातोंका खयाल रहता है...
डॅनियल सोच रहा था.
तभी कुछ याद आए जैसा वह एकदम उठकर बैठ गया.
'' गिब्सन कहां गया ?'' उसने बगीचेमे इधर उधर देखते हूए सुझानसे पुछा.
सुझानभी घबराकर उठकर खडी हो गई. और बगीचेमें इधर उधर जाते हूए गिब्सनको ढूंढने लगी. बगीचेमें एक तरफ डॅनियल तो दुसरी तरफ सुझान गिब्सनको ढूंढ रहे थे.
इधर उधर ताकते झांकते हूए सुझान गिब्सनको ढूंढते हूए एक पौधेके पास गई. उसकी ढूंढती हूई नजर एक जगह स्थिर हो गई. उसके चेहरेसे डर, चिंता जाकर अब उसकी जगह खुशी झलकने लगी.
'' तूम यहां क्या कर रहे हो बेटे ?'' सुझानने कहा. .
उसके सामने उनका 3-4 सालका लडका - गिब्सन मट्टी खेल रहा था. सुझान और डॅनियलने उनके लडकेका नाम सुझानके भाईके यादमें गिब्सनही रखा था.
'' मै मेरे दोस्तके साथ खेल रहा हूं '' वह छोटा गिब्सन अपने तोतले बोलसे बोला.
'' दोस्त ?... किधर है तुम्हारा दोस्त ?'' सुझानने आसपास ढूंढते हूए पुछा.
छोटे गिब्सनने इर्द गिर्द देखा और आवाज लगाई ,
'' स्टेला ... स्टेला तूम कहां हो ?''
एक 3-4 सालकी लडकी - स्टेला एक पौधेके पिछेसे दौडते हूएही उसके पास आ गई. वहभी मट्टी खेल रही थी और उसके छोटे छोटे हाथ मट्टी और किचडसे सने हूए थे.
समाप्त
'' मानो ऐसा लग रहा है जैसे सबकुछ कल कल घटीत हूवा है ... समय कैसे बित गया कुछ पताही नही चला. '' डॅनियलने कहा.
सुझान उसके बालोंसे अपनी उंगलीयां फेरती हूई उसकी नक्कल उतारती हूई बोली,
'' ऐसा होता है ... प्यारमें ऐसा होता है कभी कभी ''
'' प्यारमें कभी कभी ... हमें एक पल मानो कितने साल जैसा लगता है ... और कभी कभी कितने साल एक पल जैसे लगते है ... मानो समयका सब परिमान बदल गया हो ... '' फिरसे वह उसकेही कभी बोले हूए वाक्य दोहराते हूए बोली.
डॅनियल उसकी तरफ देखते हूए मिठासा मुसकाया. उसे अपने बिवीपर गर्व हो रहा था.
उसे कैसे मेरी हर आदत, ... मेरी हर तरहा मालूम है ...
इतनाही नही तो मेरे कभी बोले हूए वाक्यभी वह याद रखती है ..
सचमुछ... आखिर प्यारका मतलब क्या है?...
एकदुसरेको पुरी तरहसे जाननेका नामही प्यार है...
एकदुसरेको पुरी तरहसे जाननेके बाद हमें एकदुसरेकी छोटी छोटी बातोंका खयाल रहता है...
डॅनियल सोच रहा था.
तभी कुछ याद आए जैसा वह एकदम उठकर बैठ गया.
'' गिब्सन कहां गया ?'' उसने बगीचेमे इधर उधर देखते हूए सुझानसे पुछा.
सुझानभी घबराकर उठकर खडी हो गई. और बगीचेमें इधर उधर जाते हूए गिब्सनको ढूंढने लगी. बगीचेमें एक तरफ डॅनियल तो दुसरी तरफ सुझान गिब्सनको ढूंढ रहे थे.
इधर उधर ताकते झांकते हूए सुझान गिब्सनको ढूंढते हूए एक पौधेके पास गई. उसकी ढूंढती हूई नजर एक जगह स्थिर हो गई. उसके चेहरेसे डर, चिंता जाकर अब उसकी जगह खुशी झलकने लगी.
'' तूम यहां क्या कर रहे हो बेटे ?'' सुझानने कहा. .
उसके सामने उनका 3-4 सालका लडका - गिब्सन मट्टी खेल रहा था. सुझान और डॅनियलने उनके लडकेका नाम सुझानके भाईके यादमें गिब्सनही रखा था.
'' मै मेरे दोस्तके साथ खेल रहा हूं '' वह छोटा गिब्सन अपने तोतले बोलसे बोला.
'' दोस्त ?... किधर है तुम्हारा दोस्त ?'' सुझानने आसपास ढूंढते हूए पुछा.
छोटे गिब्सनने इर्द गिर्द देखा और आवाज लगाई ,
'' स्टेला ... स्टेला तूम कहां हो ?''
एक 3-4 सालकी लडकी - स्टेला एक पौधेके पिछेसे दौडते हूएही उसके पास आ गई. वहभी मट्टी खेल रही थी और उसके छोटे छोटे हाथ मट्टी और किचडसे सने हूए थे.
समाप्त
Tuesday, February 15, 2011
LOVE
True Love Story - read carefully !!................
This is a real story of a young college girl who
passed away last month
in Chandigarh . Her name was Priya... She was hit by a
truck.
She is working in a call centre. She has a boy friend
named Shankar .
Both of them are true lovers. They always hang on the
phone..You can
never see her without her handphone. In fact she
also changed her phone
from Airtel to Hutch, so both of them can be on the
same network, and save on the cost..
She spends half of the day talking with shankar .
Priya's family knows about their relationship. Shankar
is very close with Priya's family. (just imagine their
love) . Before she passed away shealways told her
friends "If I pass away please burn me with my
handphone" she also said the same thing to her
parents.
After her death, people cudnt carry her body, I was
there. A lot of
them tried to do so but still cant , had tried to carry the body, the result
is still the same. Eventually, they called a person
who know to one of their neighbours, who can speak
with the soul of dead person, who is a friend of her
father.
He took a stick and started speaking to himself
slowly.
After a few minutes, he said "this girl misses
something here." Then her
friends told that person about her intentions to burn
her with her phone..
He then opened the grave box and place her phone and
sim card inside the
casket. After that they tried to carry the body. It
could be moved and
they carried it into the van easily.
All of us were shocked. Priya's parents did not inform
Shankar that
Priya had passed away.
After 2 weeks Shankar called Priya's mom.....
Shankar :...."Aunty, I'm coming home today. Cook
something nice for me.
Dont tell Priya that I'm coming home today, I wanna
surprise her."
Her mother replied..... "You come home first, I wanna
tell you
something very important."
After he came, they told him the truth about Priya.
Shankar thinks
that they were playing a fool. He was laughing and
said "dont try to
fool me - tell Priya to come out, i have a gift for
her. Please stop
this nonsense".
Then they show him the original death certificate to
him.
They gave him proof to make him believe. (Shankar
started to sweat) He
said... "Its not true. We spoke yesterday. She still
calls me.
Shankar was shaking.
Suddenly, Shankar's phone rang. "see this is from
Priya, see this...."
he showed the phone to priya's family. all of them
told him to
answer. he talked using the loudspeaker mode.
All of them heard his conversation.
Loud and clear, no cross lines, no humming.
It is the actual voice of Priya & there is no way
others could use her
sim card since it is nailed.
Inside the grave box they were so shocked and asked
for the same person's
(who can speak with the soul of deal perosns) help
again. He brought his
master to solve this matter.
He & his master
worked for 5 hours.
Then they discovered one thing which really shocked
them...
I am a native Californian living in Cardiff by the Sea.
An Old Irish Proverb says: "Living by the Sea stops old wounds from hurting. It revives the Spirit, it quickens the passions of mind
and body, and it lends tranquility to the Soul." Thank you "Beach" that my beginnings were along the California shoreline.
I was visualized in Ventura Beach. I was born at Oxnard Shores. Most of my life has been spent within a terry-towel toss of the sea.
I roasted hotdogs in your fire-rings, played volleyball on your sands, young love began on your shoreline, you lulled me to sleep at night.
My children were born by the beach in La Jolla. You are ever calming to me, Beach, and often cause a 'back to the womb' experience when I walk through the ever widening ripples of your wet sandy shores.
The crest of a wave in the breakwater and then the slow rippling sounds over gray beach pebbles ... they are all yours, Beach, times of beginning again.
You gave me the peace and solitude to write as I watched your vast expansive view of blue for sunsets to slither into at night, and small patches of whitewater to mesmerize me during the lazy leisure hours of my later life. Your pounding surf is my nightime lullaby. It centers my spirit with my Creator.
I invite you to learn more about me and how I apply myself to the commission of Life Story Writing.
An Old Irish Proverb says: "Living by the Sea stops old wounds from hurting. It revives the Spirit, it quickens the passions of mind

I was visualized in Ventura Beach. I was born at Oxnard Shores. Most of my life has been spent within a terry-towel toss of the sea.
I roasted hotdogs in your fire-rings, played volleyball on your sands, young love began on your shoreline, you lulled me to sleep at night.
My children were born by the beach in La Jolla. You are ever calming to me, Beach, and often cause a 'back to the womb' experience when I walk through the ever widening ripples of your wet sandy shores.
The crest of a wave in the breakwater and then the slow rippling sounds over gray beach pebbles ... they are all yours, Beach, times of beginning again.
You gave me the peace and solitude to write as I watched your vast expansive view of blue for sunsets to slither into at night, and small patches of whitewater to mesmerize me during the lazy leisure hours of my later life. Your pounding surf is my nightime lullaby. It centers my spirit with my Creator.
I invite you to learn more about me and how I apply myself to the commission of Life Story Writing.
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